AB de Villiers का 41-गेंद शतक: WCL 2025 में साउथ अफ्रीका ने इंग्लैंड को 10 विकेट से रौंदा

  • सित॰, 8 2025

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AB de Villiers का 41-गेंद शतक: WCL 2025 में साउथ अफ्रीका ने इंग्लैंड को 10 विकेट से रौंदा

41 साल, 41 गेंद और शतक. ग्रेस रोड, लीसेस्टर ने वो देखा जिसकी उम्मीद लोग करते तो हैं, पर हर बार मिलना नसीब नहीं होता. वर्ल्ड चैम्पियनशिप ऑफ लीजेंड्स 2025 में साउथ अफ्रीका चैंपियंस ने इंग्लैंड चैंपियंस को 10 विकेट से कुचल दिया, और केंद्र में थे AB de Villiers—नाबाद 116 (51), 15 चौके, 7 छक्के और वही 360-डिग्री खेल जिसकी वजह से उन्हें ‘Mr. 360’ कहा गया.

मैच का हाल

टार्गेट मामूली नहीं था—153. लेकिन शुरुआत से ही डे विलियर्स का इरादा साफ था: गेंद जहां भी आई, वहीं से बाउंड्री. उनके पहले 25-30 रन पलक झपकते बने—कवर के ऊपर, मिड-विकेट के पार, पॉइंट के ऊपर—हर एंगल पर. प्लान सिंपल था: गैप ढूंढ़ो, बैकफुट और फ्रंटफुट दोनों पर टाइमिंग से मारो. पावर नहीं, प्रिसिशन पहले; और जब गेंदबाज़ लंबाई चूके, तो पावर भी खुलकर दिखी.

उनका शतक 41 गेंद में आया—टूर्नामेंट के सबसे तेज शतकों में शुमार. टेंपो ऐसे सेट हुआ कि रन-रेट 12 से ऊपर जाता रहा और साउथ अफ्रीका ने सिर्फ 12.2 ओवर में लक्ष्य पार कर लिया. कैलकुलेटर कहेगा कि यह करीब-करीब 12.4 रन प्रति ओवर की रफ्तार है—पुराने दिनों की याद दिलाने वाली, पर आज भी उतनी ही धारदार.

इस साझेदारी का दूसरा सिरा संभाले थे हाशिम अमला. स्कोरकार्ड में उनके नाम पर 29* ही दिखेगा, पर काम उससे कहीं बड़ा था—स्ट्राइक घुमाना, गलत गेंदों को बाउंड्री भेजना और डे विलियर्स के लिए स्पेस बनाना. यही जोड़ी सालों टीम साउथ अफ्रीका के लिए करती आई है—एक छोर से रफ्तार, दूसरे से शांति. यहां भी वही कहानी दोहराई गई, बस मंच बदल गया.

इंग्लैंड चैंपियंस ने कई कॉम्बिनेशन आज़माए—स्पीड में बदलाव, वाइड यॉर्कर, स्लोअर बाउंसर—पर असर नहीं. डे विलियर्स ने लेंथ इतनी जल्दी पढ़ी कि गेंद निकलते ही शॉट तय था. फाइन लेग के ऊपर फ्लिक, बैकवर्ड प्वाइंट पर रैंप, और लॉन्ग-ऑन के ऊपर फ्लैट छक्का—हर बार एंगल बदलता गया, लाइन-लेंथ बेअसर होती गई.

पावरप्ले में गेंद नई थी, पर सीम से कोई मदद नहीं. आउटफील्ड तेज थी और स्क्वेयर बाउंड्री थोड़ी छोटी—डे विलियर्स ने इसका पूरा फायदा उठाया. मिड-ओवर्स में उन्होंने स्पिन की रफ्तार तोड़ी—कभी स्वीप, कभी रिवर्स, तो कभी स्ट्रेट ड्राइव जो सीधे साइट स्क्रीन से जा टकराए. एक-दो ओवर में इंग्लिश कप्तान ने फील्ड बदली, पर ‘रिस्क बनाम रिवार्ड’ का समीकरण डे विलियर्स हमेशा अपने पक्ष में रखते दिखे.

इससे पहले इंग्लैंड चैंपियंस ने बोर्ड पर ऐसा स्कोर रखा था जो मुकाबला बना सकता था. पर साउथ अफ्रीका के गेंदबाज़ों ने डेथ में बांधकर रखा और 160 के आसपास जाने वाली पारी को 150 के दायरे में सीमित कर दिया. यही फर्क आखिर में बड़ा बन गया—टार्गेट बड़ा होता तो मैच लंबा जाता, पर 153 के सामने डे विलियर्स का मोमेंटम ज़्यादा भारी पड़ा.

यह लीग भले ‘लेजेंड्स’ की है, पर टेम्पो बिलकुल प्रोफेशनल टी20 जैसा. इंग्लैंड के पुराने सितारों के सामने साउथ अफ्रीका के दिग्गज उतरे और भीड़ भरी गैलरी ने हर शॉट पर शोर बढ़ाया. लीसेस्टर की शाम में यह एक तरह की नॉस्टेल्जिया नाइट थी—जहां यादें और मौजूदा फॉर्म साथ-साथ चलती दिखीं.

डे विलियर्स की पारी की सबसे खूबसूरत बात यह रही कि वह सिर्फ ताकत से नहीं, मेथड से बनी. उनका स्टांस कॉम्पैक्ट, बैकलिफ्ट ऊंचा लेकिन कंट्रोल में, और रिलीज पॉइंट इतना लेट कि आखिरी पल तक शॉट बदल सकें. यही वजह है कि स्लोअर गेंदें भी उन्हें धोखा नहीं दे पाईं. जब गेंद फुलर आई, तो लिफ्ट करके लॉन्ग-ऑफ-लॉन्ग-ऑन; और जब शॉर्ट मिली, तो पुल-हुक के बीच की पतली लाइन पर कंट्रोल.

41 की उम्र? यहां तो फिटनेस और रिफ्लेक्स दोनों चुभ रहे थे. रनिंग बिटवीन द विकेट तेज, पहली रन हमेशा फुल, और दूसरे रन के लिए लगातार पुश. यह पारी बताती है कि स्किल और गेम-अवेयरनेस का असर उम्र से बड़ा होता है. 2015 में उन्होंने 31 गेंदों में ODI इतिहास का सबसे तेज शतक बनाया था—आज भी वही आईक्यू और रेंज दिखी.

  • 41 गेंद में शतक, 51 गेंद में नाबाद 116
  • 15 चौके और 7 छक्के—कुल 22 बाउंड्री हिट्स
  • 153 का पीछा 12.2 ओवर में—10 विकेट से जीत
  • हाशिम अमला 29*—सहयोगी, कंपोज़्ड और प्रभावी
  • साउथ अफ्रीका चैंपियंस की अपराजित लय बरकरार

सोशल मीडिया पर #ABD फिर ट्रेंड करने लगा. आरसीबी फैंस ने पुरानी क्लिप्स, पुराने चैंट्स वापस निकाले और सवाल हवा में तैरने लगा—क्या वह IPL में एक बार फिर दिखेंगे? हकीकत यह है कि यह एक रिटायर्ड-स्टार्स लीग है और IPL की डिमांड अलग स्तर की होती है, पर फैंस की उम्मीदें आज वाली रात के बाद थोड़ी और बढ़ना तय है.

वर्ल्ड चैम्पियनशिप ऑफ लीजेंड्स 2025 का यह नतीजा तालिका पर भी असर डालता है. साउथ अफ्रीका चैंपियंस की नेट रन-रेट को बढ़त मिलनी चाहिए—10 विकेट की जीतें ऐसा ही करती हैं. टूर्नामेंट के बाकी दावेदारों के लिए मैसेज साफ है: अगर साउथ अफ्रीका टॉस या चेज़ में फ्री-फ्लो मोड पकड़ ले, तो उन्हें रोकना मुश्किल होगा.

मैच का एक छोटा-सा अनसीन एंगल भी रहा—अमला की पारी. उन्होंने कम गेंदें खेलीं, पर हर ओवर के पहले या आखिरी शॉट में बाउंड्री निकालकर प्रेशर हटाया. इससे डे विलियर्स को वह लग्जरी मिली कि वह अपनी टेंपो को बिना रुकावट बढ़ाते रहें. एक ओपनिंग जोड़ी की यही खूबी है—दोनों एक-दूसरे के खेल को स्पेस दें.

इंग्लैंड चैंपियंस के लिए सीख? लेंथ मिस नहीं होनी चाहिए, खासकर ऐसे बैटर के खिलाफ जो दाएं-बाएं दोनों तरफ समान ताकत से खेलता हो. उन्हें मिडल ओवर्स में डॉट बॉल्स बढ़ानी थीं—पर उल्टा हुआ, और हर ओवर का पहला-तीसरा-छठा बॉल बाउंड्री में बदलता गया. कंसिस्टेंसी नहीं आई, और वहीं मैच हाथ से निकल गया.

टूर्नामेंट पर असर और फैंस की गूंज

साउथ अफ्रीका की यह जीत सिर्फ एक मैच पॉइंट नहीं, एक मूड सेट करती है. ड्रेसिंग रूम में आपको ऐसा लीडर चाहिए जो मुश्किल को आसान बना दे—डे विलियर्स ने वही किया. सामने वाले को पता था कि शॉट आएगा, फील्ड वहीं थी, फिर भी गैप निकला. यह एक सेट बैटर की कला है, और उसी की वजह से बाकी टीमें अब अपनी प्लानिंग में अतिरिक्त कवर जोड़ेंगी—डबल-फाइन, थर्ड-मैन ऊपर या नीचे, और पेस-ऑफ की बेहतर सीक्वेंसिंग.

फैंस के लिए यह मैच पुरानी यादों, नई उम्मीदों और एक साफ संदेश का मिश्रण रहा—क्लास टिकती है. मंच चाहे लीजेंड्स का हो या इंटरनेशनल, बैट का मिड वही रहता है. इसी भरोसे के साथ साउथ अफ्रीका चैंपियंस अगले मुकाबले की ओर बढ़ेंगे, और प्रतिद्वंद्वी अब एक बात अच्छी तरह जान गए हैं—अगर 153 भी सहज दिख सकता है, तो 170-180 ही सुरक्षित महसूस होगा.